Rekha mishra

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लेखनी प्रतियोगिता -07-Dec-2021

                 प्रताड़ित बहू 

मैं छुट्टियों में नानी के घर  गई थी ये बात तब कि है जब मैं ग्यारहवीं कक्षा में थी क्रिसमस की छुट्टियों की बात है तो तब छोटे और समझदार बच्चों में मेरा नाम सबसे उपर था, तो हुआ यूँ में मेरी मौसी के सूट जो एक लेडी टैलर को डाले थे लेने पहुंची में और मामा की छोटी बेटी हम जब उनके घर पहुँचे उन्हीं के सामने वाले परिवार से जोर जोर से लड़ने की आवाज आ  रही थी, तो हम तो सूट लेने में व्यस्त बस बाहर निकलने ही लगे एक औरत दौड़ती हुई उसी घर में घुस गई और चिल्लाने लगी बचाओ बचाओ ये लोग मुझे मेरी बच्ची को मार डालेंगे हम तो पसीने पसीने हो गए और लड़ाई और जोर जोर से होने लगी जिस घर में हम खड़े थे उन्होंने गेट अंदर से बंद कर लिया ताकि कोई उस औरत को मारने ना आए, अब हम भी फंस गए क्या करें फिर खड़े होकर उनकी बातें ही सुनने लगे, लड़की बोल रही थी जब शादी हुई पागल बना दिया बस लड़की चाहिए अब रोज कुछ ना कुछ पीहर से मांगते है कहाँ से लाए हम तो साधारण परिवार के लोग है ना दो तो कहते हैं खाना नहीं देंगे, और तो और छोटी बच्ची को दूध देने के लिए रसोई में जाने नहीं देते आदमी की भी नौकरी छूट गई बच्ची छोटी है तो वो भी कमाने नहीं जा सकती मैं क्या करूं अब, बड़ा बुरा लगा एक पढ़ी लिखी लड़की ए के साथ ऐसा व्यवहार, कहीं ना कहीं मन में ये बात आयी के ये ऐसे आदमी के साथ रहती क्यूँ है तब पता चला पीहर भी काफी गरीब है तो उन लोगों ने भी उसे इस कदम से पीछे हटने की सलाह दी बच्ची ना होती तो चलता भी लेकिन बच्ची की परवरिश कैसे हो पाएगी, कैसा समाज है हमारा जहाँ सास ससुर इतने भी निर्दयी हो सकते हैं और सास जो खुद एक महिला है जब भी में ऐसी किसी महिला को देखती हूँ तो मन करता है उन्हें गंजा कर शहर भर में घुमाना चाहिए , जब आपकी बेटी की खुशी चाहिए तो दूसरे की बेटी क्यूँ दुख भुगते, मैं सच कहूँ तो कई बार इस समाज का हिस्सा कहलाना शर्मिंदगी भरा लगता है, हम जैसे तैसे वहाँ से निकले हमने सब बात अपनी मौसी को बताई  जो वकील हैं उन्होंने कहा कुछ तो मदद करनी होगी, तब मौसी ने एक बार उसे रास्ते से जाते देखा और पुलिस रिपोर्ट की सलाह दी तब वो बोली तब भी जीने नहीं देंगे, कुछ ही महीनों बाद पता चला उस बहू ने तेल  डालकर खुदको जला लिया है ,पर ये किसे पता वो जली  या जलाया गया, ये दुनिया इतनी बेरहमी से कैसे भरी हुई है जहाँ खुद की लड़की को दुख ना मिले दूसरी की को जिंदा जला दो थू है ऐसे घटिया लोगों पर, अगर  समाज के सभी लोग  यह समझ लें के कम बच्चे करें  अगर बच्चों को पालने के लिए पर्याप्त धन नहीं तो जरूरत भी नहीं है एक अच्छे माता पिता वो हैं जो बच्चे को एक साधारण लेकिन ऐसा जीवन दे सके चाहे लड़का हो या लड़की किसी पर बोझ ना बने तब शायद ये घटनायें काफी कम हो सकती हैं। या फिर जांच परख कर ल़डकियों के लिए उनका ससुराल देखिए, वो हमेशा आपकी बेटी है ससुराल जाने के बाद भी ये भूलना नहीं चाहिए, उसे कोई परेशानी आएगी तो उसके माता-पिता ही सबसे पहले उसके लिए खड़े रहे तब जाकर समाज में बदलाव आयेगा।

By-Rekha mishra 

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3 Comments

Rohan Nanda

15-Dec-2021 07:36 PM

Kafi achcha likha h aapne

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Shrishti pandey

07-Dec-2021 10:49 PM

Nice

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🤫

07-Dec-2021 06:52 PM

बेहतरीन...

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